Editor's Desk | 14 August 2023, 04:23 PM IST

अपनी सोच को बदलने के लिए 4 एग्रीमेंट्स

इस Article में आप सीखेंगे आजादी पाने के चार समझौते। आप सीखेंगे कि आपके सपने असल में आपके सपने नहीं है। आप एक ऐसी जिंदगी जी रहे हैं जिसके रूल्स आपके पेरेंट्स और सोसाइटी ने बनाए हैं। आप जो सोचते हैं उससे यह दुनिया बिल्कुल अलग है।

मनुष्य की परवरिश और ग्रह का सपना
क्या आपको पता है जो सपने आप देखते हैं असल में वो आपके सपने है? या आपके परिवार और सोसाइटी के ? क्या आपको याद है? जब आप बचपन में अपने पेरेंट्स की हर बात मानते थे तब आपको शाबाशी दी जाती और जब आप उनकी बातें नहीं मानते थे तो आपको सजा दी जाती थी। हमें अपने बचपन से ही बताया जाता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है। और जब हम वैसा करते हैं तो हमें इनाम दिया जाता है और जब हम वैसा नहीं करते हैं तो हमें दंड दिया जाता हैं। बचपन से ही हमारे मन में यह डर बैठ जाता है कि अगर हम अपने परिवार और सोसाइटी के रूल्स के अगेंस्ट कुछ करेंगे तो हमें दंड मिलेगा।
और इसी डर के चलते हम कभी भी अपनी बात अपने परिवार और सोसाइटी के सामने अच्छे से नहीं रख पाते है। क्योंकि हमारे मन में बचपन से ही वो डर बैठ गया है।हम हमेशा से दंडित होने के डर और पुरस्कार न मिलने के डर से हम खुद को वह मानने लगते है जो हम असल में नहीं हैं। हम दूसरों को खुश करने के लिए यह दिखावा करने लगते हैं कि हम उनके लिए बहुत अच्छे हैं। जैसे हम घर में माता-पिता, स्कूल में टीचर्स और मंदिर में पुजारी को खुश करना चाहते हैं ताकि उन्हें ऐसा लगे कि हम वही हैं जैसा वे हमें बनाना चाहते हैं। क्योंकि हमें रिजेक्शन का डर सताता है। और यही डर हमें बेहतर नहीं होने देता और धीरे-धीरे हम ऐसे इंसान में बदल जाते हैं, जो हम हैं ही नहीं। हम अपने माता-पिता, समाज और धर्म से जुड़े विश्वासों की नकल बनकर रह जाते हैं। जिंदगी बदल देने वाले 3 सवाल खुद से पूछे
बचपन में हम अपने परिवार के कंट्रोल में रहते थे और वही कंट्रोल आज नहीं होने के बावजूद भी हम खुद को उस से आजाद नहीं कर पाते हैं। बचपन से हमारी जो प्रोग्रामिंग हो गई है उसी प्रोग्रामिंग से हम आज भी जी रहे हैं। अब चाहे वो गलत हो या सही लेकिन अभी वो वक्त आ गया है खुद को उससे आजाद करने का ताकि आप इस जिंदगी को खुलकर जी सको अपने हिसाब से। आपको अपनी सोच बदलनी होगी ताकि आप वो कर सको जो आप करना चाहते हो। हमारे जीवन को जो धारणाएँ चलाती हैं अगर वे हमें पसंद न हों तो हमें उन्हें बदल देना चाहिए।
1. अपने शब्दों के साथ निष्पाप रहे – पहला एग्रीमेंट
पहला एग्रीमेंट है अपने शब्दों को सोच समझकर यूज़ करना। शब्दों के ज़रिए इंसान अपने लिए सुंदर संसार का निर्माण भी कर सकता है और शब्दों के माध्यम से वह अपने आस-पास का संसार तबाह भी कर सकता है। अभी ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कैसे शब्दों का यूज करते हैं। आपके द्वारा बोले गए वर्ड्स में बहुत पावर होती है जो किसी को कमजोर भी बना सकते हैं और किसी को शक्तिशाली भी बना सकते हैं। अगर आपको कोई कहता है कि आप बिल्कुल ही बेकार हो कोई भी काम ढंग से नहीं करते तो धीरे-धीरे आप यह मानने लग जाओगे कि आप वास्तव में बेकार हो। और यह आप पूरी जिंदगी भर मानते रहोगे जब तक कोई आपको यह ना बता दें कि आप भी कुछ बड़ा कर सकते हो।
हमेशा सोच समझकर बोले कोई भी ऐसी बात ना बोले जो लोगों को कमजोर बना दे। हमेशा पॉजिटिव वर्ड्स का यूज़ करें। क्योंकि एक बार आप किसी को कुछ बोल देते हैं तो आपने तो एक बार बोला लेकिन जिसको आप ने बोला है उसके दिमाग में वो जिंदगी भर के लिए छप जाता है। शब्दों में इतनी शक्ति होती है कि केवल एक शब्द भी लाखों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला सकता है। मनुष्य का मन किसी उपजाऊ जमीन की तरह होता है, जिसमें लगातार बीज बोए जाते हैं। और वो बीज इंसान के विचार और धारणा के होते हैं।
2. किसी भी बात को निजी तौर पर न लें – दूसरा एग्रीमेंट
दूसरा एग्रीमेंट कहता है किसी भी बात को निजी तौर पर न ले। आपके आस पास जो भी घट रहा है उसे पर्सनली न ले। यदि मैं आपको बिना जाने-पहचाने सड़क पर देखकर कहता हूँ कि ‘आप मूर्ख हैं।’ तो वास्तव में ऐसा मैं अपने बारे में कह रहा हूँ, आपके बारे में नहीं। लेकिन यदि आप मेरी बात सुनकर दुःखी होते हैं तो इसका मतलब यही है की आप मेरी बात से सहमत होकर खुद को मूर्ख मानते हैं। आप इस तरह कही गई बात को पर्सनली लेते हैं क्योंकि आप भी उस बात से सहमत होते हैं। और जैसे ही आप इन बातों पर विश्वास करते हैं तो यह जहर आपके अंदर चला जाता है जो आपको हर वक्त परेशान करता है। 7 Success Habits Of Powerful People
एक्चुअली हम अपने आप को इतनी इंपॉर्टेंस देते हैं कि हमें लगने लगता है की हर बात हमारे बारे में ही हो रही है। हम बचपन से ही हर बात को पर्सनली लेना सीख लेते हैं। हमें लगता है कि हर बात के लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। वास्तव में लोग जो भी कर रहे हैं उसमें आपका कोई पार्टिसिपेशन नहीं होता है। लोग जो कुछ भी कहते हैं और करते हैं वह अपनी मान्यता और अपनी सोच के कारण करते हैं। हर इंसान अपनी ही दुनिया और अपने सपनों में जीता है। उनकी दुनिया हमारी दुनिया से बिल्कुल अलग होती है। जब हम किसी की बात को पर्सनली लेते हैं तो हम यह मान लेते हैं कि लोगों को हमारे बारे में और हमारे जीवन में जो भी हो रहा है उसके बारे में पूरी जानकारी है।
3. पहले से मान्यताएं न बनाएँ – तीसरा एग्रीमेंट
तीसरा एग्रीमेंट कहता है कि आपको पहले से कोई धारणा (मान्यता) नहीं बनानी चाहिए और न ही कोई अनुमान लगाना चाहिए। इंसान को हर चीज के बारे में पहले से ही मान्यता बनाने की आदत होती है। जब इंसान बिना किसी बात को पूरी जाने समझे उसे अपने मन में सच मान लेता है तो वह चीज उसके दुख का कारण बनती है। दूसरे लोग क्या सोच रहे होंगे क्या कह रहे होंगे इसके बारे में भी हम कोई ना कोई मान्यता बना लेते हैं और उसे पर्सनली लेते हैं। उसके बाद हम लोगों को अपनी मान्यता के आधार पर दोषी ठहराते हैं। इस तरह हम अपने शब्दों के माध्यम से लोगो तक जहर पहुंचाते हैं। इस तरह हम मान्यता और अनुमान लगाकर बेवजह अपने जीवन में परेशानियों को न्योता देते हैं। सफलता के 10 नियम
कई बार हमारी मान्यता ही गलतफहमी का कारण बनती है जिन्हें हम पर्सनली ले लेते हैं। और ऐसा करने से हमारे जीवन में एक नाटक तैयार होता है जिसका कारण सिर्फ हमारी गलत मान्यता होती है। लोगों के बीच होने वाली सारी लड़ाइयाँ दूसरों के बारे में पूर्वानुमान लगाने और बातों को पर्सनली लेने की वजह से ही शुरू होती हैं। अलग-अलग मान्यताएं बनाकर और बातों को पर्सनली लेकर हम बार बार भावनात्मक जहर का निर्माण करते हैं। हम अपनी ही मान्यताओं के आधार पर लोगों से बातें करते हैं।
यदि हमें सामने वाले की कोई बात समझ में ना आए तो हम उससे वही बात फिर से पूछने में हिचकिचाते हैं। और जितना हमें समझ में आया है, उसी आधार पर हम मान्यता बनाते हैं। फिर हम अपनी इस मान्यता को सही साबित करने के लिए सामने वाले को झूठा ठहराते हैं। कोई भी मान्यता बनाने से पहले हमें सामने वाले से सवाल पूछकर उसकी बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। क्योंकि जब भी कोई नई मान्यता बनती है तब वह समस्या को ही न्योता देती है।
हम वही देखते हैं, जो देखना चाहते हैं और वही सुनते हैं, जो सुनना चाहते हैं। इससे चीज़ों को उनके असल रूप में देखने की हमारी तैयारी नहीं होती। हम अक्सर कल्पना में जीते हैं इसलिए धारणाएँ तुरंत बन जाती हैं। मगर कोई भी मान्यता बनाने के बाद जब सच हमारे सामने आता है तब हमारे झूठ का बुलबुला फूट जाता है। तब हमें पता चलता है कि हम जो सोच रहे थे, वैसा तो था ही नहीं। 21 Best Quotes For Success in Hindi
4. अपनी ओर से हमेशा सर्वश्रेष्ठ कार्य करें – चौथा एग्रीमेंट
एक आखिरी एग्रीमेंट हमें अपने साथ करना है, वह है – ‘अपनी ओर से हमेशा सर्वश्रेष्ठ कार्य करें।’ किसी भी हालत में अपना बेस्ट देने की कोशिश करें। लेकिन ये याद रखें कि आपका किसी काम में किया गया बेस्ट प्रयास, हर काम में बेस्ट ही होगा ऐसा नही है। क्योंकि हर समय आपकी एनर्जी लेवल अलग होती है। इसलिए कई बार आपका बेस्ट प्रयास हाई क्वालिटी का हो सकता है और कई बार हाई क्वालिटी का नहीं होगा।
जैसे आप सुबह-सुबह उठते हैं तब तरोताज़ा और जोश से भरपूर होते हैं। उस समय आपके द्वारा किया गया बेस्ट काम, रात में थकान की अवस्था में किए गए बेस्ट काम से निश्चित ही बेहतर होगा। संपूर्ण स्वास्थ्य की अवस्था में किया गया बेस्ट काम, बीमारी की अवस्था में किए गए बेस्ट काम से बेहतर ही होगा। आपका बेस्ट काम इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप बेहतरीन, खुश और जीवंत महसूस कर रहे हैं या आपको गुस्से व जलन का एहसास हो रहा है। आपकी हर दिन की भावना के अनुसार आपका सर्वश्रेष्ठ प्रयास भी हर पल में बदल सकता है। यह हर घंटे या हर दिन अलग-अलग हो सकता है। इसलिए क्वॉलिटी की परवाह किए बिना अपनी ओर से हमेशा बेस्ट काम करते रहें। 

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